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कार्यवाही चलने पर ही राहुल को मिलेगा पक्ष रखने का मौका, नियम 357 के तहत नया नोटिस स्वीकार

लंदन में दिए अपने भाषण के कारण विवादों में घिरे कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा में अपना पक्ष रख पाएंगे या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नियम 357 के तहत सदन में अपना पक्ष रखने संबंधी राहुल के दिए नोटिस को स्वीकार कर लिया है। हालांकि, राहुल तभी अपना पक्ष रख पाएंगे, जब सदन चले।

लोकसभा सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने बीते 16 मार्च को अध्यक्ष से मुलाकात कर अपना पक्ष रखने की अनुमति मांगी थी। इस दौरान उन्होंने नियमों का उल्लेख नहीं किया था। इसलिए अध्यक्ष बिरला ने उनकी मांग ठुकरा दी थी। इसके बाद सोमवार को राहुल की ओर से अध्यक्ष से नियम 357 के तहत अपना पक्ष रखने का अनुरोध मिला।

भाजपा को लगता है कि अपना पक्ष रखने के दौरान राहुल खेद व्यक्त करने या माफी मांगने के बदले एक बार फिर से अदाणी मामले में सरकार और प्रधानमंत्री पर निशाना साधेंगे। राहुल शनिवार को विदेश मंत्रालय की संसदीय समिति की बैठक में अपने तेवर दिखा चुके हैं।

राहुल से पूछताछ पर कांग्रेस को जदयू का साथ
राहुल गांधी से पूछताछ ने सरकार के साथ तकरार के बीच कांग्रेस को जदयू का साथ मिला है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने सवाल किया कि आखिर राहुल को क्यों माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खुद प्रधानमंत्री ने विदेश में राजनीति की है। विपक्ष पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि क्या विदेश में पीएम के द्वारा की गई विपक्ष की आलोचना देशप्रेम है और राहुल के उठाए सवाल देशद्रोह की श्रेणी में आते हैं?

गृह मंत्री शाह समेत कई विपक्षी नेताओं से बिरला की मुलाकात
संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बने गतिरोध को तोड़ने की पहल शुरू हो गई है। दरअसल बजट सत्र के दूसरे चरण की छह बैठकों के बर्बाद होने के बाद सरकार की चिंता भी बढ़ गई है। सरकार को हर हाल में केंद्रीय बजट को 31 मार्च तक पारित कराना है।

इसके अलावा अब तक सभी अहम मंत्रालयों के अनुदान मांगों का भी निपटारा नहीं हो पाया है। सूत्रों का कहना है कि सरकार चाहती है कि सदन में ऐसी स्थिति बने जिससे बिना किसी हंगामे और विवाद के इन अहम कार्यों को निपटाया जा सके। इसी को ध्यान में रखकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को संसद स्थगित होने के बाद पहले गृह मंत्री अमित शाह और फिर विपक्ष के कई नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें की। माना जा रहा है कि विपक्ष ने भी सदन चलने देने के मुद्दे पर नरम रुख अपनाने का संकेत दिया है।

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