Khandwa: क्षमता से चार गुना अधिक कैदियों वाली खंडवा जेल में लगा स्वास्थ्य शिविर, चर्म रोग के ज्यादा मरीज मिले
खंडवा की शहीद टंट्या मामा जिला जेल में बंदियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा गुरुवार को एक विशेष स्वास्थ्य कैंप लगाया गया। केंद्र में जिला चिकित्सालय खंडवा और मेडिकल कॉलेज खंडवा के साथ ही जिला विधिक प्राधिकरण की टीम मौजूद रही। स्वास्थ्य कैंप में आए विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा जेल में बंद बंदियों की कई तरह की स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें उनके दांतो की, आंखों की, ब्लड प्रेशर की, चर्म रोग और मनोरोग की जांच की गई। लगभग 170 से अधिक बंदियों की जांच में से 44 बंदियों को उपचार के लिए रेफर किया गया। इसके साथ ही जांच के बाद उन्हें उचित सलाह देते हुए दवाइयों का वितरण भी किया गया।
उच्च न्यायालय द्वारा बंदियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। इसी को लेकर खंडवा जिला विधिक प्राधिकरण के द्वारा जिला चिकित्सालय खंडवा और मेडिकल कॉलेज खंडवा के विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम बनाकर जिला जेल में कैंप आयोजित किया गया। कैंप में मौजूद डॉक्टरों ने कैदियों की विभिन्न तरह की जांचे करते हुए उनके स्वास्थ्य का परीक्षण किया। कैम्प में मौजूद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ शरद हरणे ने बताया कि शिविर में चर्म रोग, डायबिटीज और उच्च रक्तचाप के मरीज अधिक मिले हैं। इनके साथ ही कुछ मरीज मानसिक रोगों के भी मिले हैं, जिनका उपचार किया गया है ।
वहीं, जिला जेल खंडवा के उप जेल अधीक्षक ललित दीक्षित ने बताया कि जेल में विधिक सहायता और मेडिकल के दो कैंप आयोजित किए गए हैं। मेडिकल कैंप में कई रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद रहे, इसी के साथ ही विधिक सहायता कैंप में जिला जज सूरज सिंह राठौर के साथ के साथ ही जिला विधिक सहायता अधिकारी अन्नपूर्णा मौजूद रहे।
जेल में बंद है क्षमता से अधिक कैदी
खंडवा की शहीद टंट्या मामा जिला जेल की छमता मात्र 208 कैदियों की है, लेकिन मौजूदा वक्त में यहां पर लगभग 900 सजायाफ्ता एवं विचाराधीन बंदी मौजूद हैं, जो कि जिला जेल की क्षमता से चार गुना अधिक हैं। इनके साथ ही जेल में लगभग 50 महिला बंदी भी मौजूद हैं और इन बंदियों के साथ पांच साल से कम उम्र के 12 बच्चे भी मौजूद हैं। क्षमता से चार गुना अधिक कैदी होने के कारण जेल में अक्सर चर्म रोग की समस्या बंदियों में देखी जाती है, साथ ही इतने अधिक बंदियों की देखरेख करने में जेल प्रशासन को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।