पंजाबराज्य

कैसे भागा अमृतपाल सिंह? फरार होने में चाचा और पुलिस दोनों की कहानी अलग-अलग

50 से अधिक पुलिस की गाड़ियां, छह जिलों के एसएसपी, डीआईजी रैंक के दो अधिकारी, पैरा मिलिट्री फोर्स की दो कंपनियां… फिर भी अमृतपाल भाग निकला। यह बात चौंकाने वाली है? पुलिस की कहानी कई लोगों के गले नहीं उतर रही। क्या अकेला अमृतपाल पंजाब पुलिस की इतनी बड़ी टीम पर हावी हो सकता है? पुलिस का दावा है कि 18 मार्च की दोपहर जालंधर-मोगा नेशनल हाईवे पर कमालके गांव के पास नाके को देखकर फरार हुए अमृतपाल को अपनी मर्सिडीज एसयूवीआई के दमदार इंजन और तेज रफ्तार का फायदा मिला।

डीआईजी स्वप्न शर्मा का कहना है कि अमृतपाल सिंह ने पीछा करने के दौरान कई बार रूट बदले और 12 से 13 किमी लंबी एक लेन की लिंक रोड पर पहुंच गया। उन्होंने बताया कि हमें अमृतपाल सिंह को पकड़ने का निर्देश दिया गया था। हमसे आगे निकलने के दौरान वह 5-6 मोटरसाइकिल सवारों से टकरा गया, इनमें से कुछ हमें पीछा करने से रोकने के मकसद से थे। कार में अमृतपाल सिंह समेत चार लोग सवार थे और सभी का कोई अता-पता नहीं चल रहा था। अमृतपाल सिंह को पहले शाहकोट एरिया में देखा गया। जब उसके काफिले को पहली बार रोका गया तो वह यू-टर्न लेकर एक लेन वाली लिंक रोड की ओर जाने वाले फ्लाईओवर के नीचे से भाग गया।
एक पुलिस अधिकारी जो इस पूरे ऑपरेशन में अमृतपाल का पीछा कर रहे थे, उनका अपना तर्क है।

नाम न छापने की बात पर उन्होंने बताया कि अमृतपाल सिंह अपने चाचा के साथ मर्सिडीज कार में था। उस कार का वीडियो भी वायरल है। कार पहले तो हाईवे पर थी, हमारी गाड़ियां उसके पीछे दौड़ रही थीं। मर्सिडीज एसयूवी काफी तेज रफ्तार से चलती है लेकिन हमारी स्कॉर्पियो की उतनी स्पीड नहीं थी। लिंक रोड पर घूमने के बाद अमृतपाल सिंह के पीछे चलने वाले इंडेवर गाड़ियों ने अपनी स्पीड धीमी कर दी और अमृतपाल को कवच दे दिया। हमारी गाड़ियों व अमृतपाल सिंह की कार के बीच फासला बढ़ गया। इसी का फायदा अमृतपाल सिंह ने उठाया और मर्सिडीज कार से निकलकर किसी अन्य वाहन में बैठकर निकल गया।

चाचा बोला- मैंने खुद आईजी को फोन कर कहा कि आपसे मिलना चाहता हूं
चाचा हरजीत सिंह की कहानी पुलिस की कहानी से बिल्कुल अलग है, चाचा हरजीत सिंह का कहना है कि मर्सिडीज कार में वह स्वयं, अमृतपाल सिंह व दो सिक्योरिटी गार्ड थे। हमें भनक नहीं थी कि पुलिस हमें गिरफ्तार करेगी। हमारे काफिले को महतपुर में रोका तो पहली बार लगा कि पुलिस हमें मुक्तसर जाने से रोकने की कोशिश कर रही है। हमारे काफिले के आगे ट्रक लगा दिया। हमने मर्सिडीज कार को वापस घुमा लिया, पुलिस का नाका रास्ते में दिखा लेकिन किसी ने नहीं रोका। रास्ते में पुल के पास पुलिस अधिकारियों के वाहन खड़े थे।

उन्होंने मर्सिडीज कार को रोका। मैं उतर कर पुलिस से बात करने गया। अधिकारियों से पूछा कि आप हमें क्यों रोक रहे हो? हमारा पीछा क्यों कर रहे हो? अधिकारियों ने कोई उत्तर नहीं दिया, बल्कि वहां पुलिस का अधिक जमावड़ा होने लगा। मैं वापस कार के पास आया तो अमृतपाल सिंह व उसके दोनों सिक्योरिटी गार्ड गायब थे। यह सब पांच मिनट में हुआ। इसके बाद मुझे किसी ने नहीं रोका। मुझे पता नहीं चला कि अमृतपाल सिंह कहां चला गया? क्या उसको पुलिस लेकर चली गई? मैं मर्सिडीज कार लेकर चला गया और खुद आईजी बार्डर जोन को फोन कर कहा कि मैं आपसे मिलना चाहता हूं।

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