उज्जैन महाकाल लोक में 2028 में होने वाले सिंहस्थ से पहले सभी 106 नई मूर्तियां लगेंगी
उज्जैन
उज्जैन स्थित महाकाल लोक में 2028 में होने वाले सिंहस्थ से पहले सभी 106 नई मूर्तियां लगेंगी। हाट बाजार में मूर्तियां बनाने का काम भी शुरू हो गया है। सबसे पहले सप्तऋषि की सात मूर्तियों को बनाया जाएगा। वर्तमान में यहां लगी मूर्तियों को चौराहों पर शिफ्ट
11 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया था। इसके बाद से यहां भक्तों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई। इस बीच, 28 मई 2023 की शाम आंधी के चलते महाकाल लोक में स्थापित सप्तऋषि की 6 मूर्तियां गिर गईं। इसके बाद मूर्तियों की मजबूती को लेकर सवाल खड़े किए गए।
सबसे पहले सप्तऋषि की सात मूर्तियों को बनाया जाएगा। वर्तमान में यहां लगी मूर्तियों को चौराहों पर शिफ्ट किया जाएगा। बता दें कि 11 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया था। इसके बाद से यहां भक्तों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 28 मई 2023 की शाम आंधी के चलते महाकाल लोक में स्थापित सप्तऋषि की 6 मूर्तियां गिर गईं थी।
बंसी पहाड़पुर पत्थर से बनाई जा रहीं मूर्तियां
हरिफाटक स्थित उज्जैन हाट बजार में महाकाल लोक के लिए सप्त ऋषि की 7 मूर्तियों का निर्माण करवाया जा रहा है। विक्रमादित्य शोध पीठ नई मूर्तियां बनवा रहा है। ओडिशा के 10 कलाकार दिन-रात मेहनत कर मूर्तियों को आकार दे रहे हैं। सप्त ऋषि की मूर्तियां राजस्थान के बंसी पहाड़पुर पत्थर से बनाई जा रही हैं।
सीएम मोहन यादव ने दिए थे निर्देश
जानकारी के मुताबिक, 5 जनवरी 2024 को विक्रमोत्सव को लेकर हुई बैठक में सीएम मोहन यादव ने निर्देश दिए थे कि मूर्तिकला की कार्यशाला होनी चाहिए। सीएम ने कहा था कि महाकाल लोक की फायबर की मूर्तियां भविष्य में खराब हो जाएंगी। इन मूर्तियों को चौराहों या अन्य जगह स्थापित करेंगे। शुरुआत में इन मूर्तियों को विक्रमशोध पीठ परिसर और कीर्ति मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
विशेषज्ञों दिया था एफआरपी की मूर्तियां लगाने का सुझाव
मूर्तियां गिरने के बाद तत्कालीन नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने 30 मई 2023 को सरकार का पक्ष रखते हुए बताया था कि महाकाल लोक का वर्क ऑर्डर कांग्रेस की सरकार के दौरान जारी हुआ था। कंपनी डीएच मेसर्स गायत्री पटेल इलेक्ट्रिकल्स के संयुक्त उपक्रम को यह काम दिया गया था।
डीपीआर में भी इसी एफआरपी मूर्तियों का प्रावधान था। जहां सप्तऋषि की 6 मूर्तियां गिरी हैं, उसके आसपास 55 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चली थीं। बाकी यहां 100 से अधिक मूर्तियां सुरक्षित हैं।
एक और बात ये है कि कमलनाथ सरकार में ही इस प्रोजेक्ट को तकनीकी मंजूरी मिली थी। दो बार भुगतान भी हुआ, तब तकनीकी विशेषज्ञों ने ही कहा था कि एफआरपी की मूर्तियां लगनी चाहिए। एफआरपी (फाइबर रीइन्फोर्स प्लास्टिक) की 100 मूर्तियां पूरे परिसर में लगी हैं, जिसकी लागत साढ़े 7 करोड़ रुपए है। ये आर्ट एफआरपी पर ही संभव है। पत्थर पर बहुत समय लगता है।