महिला आरक्षण बिल पर विपक्ष को क्यों है ऐतराज, लोकसभा में सोनिया गांधी रखेंगी कांग्रेस का पक्ष
लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर चर्चा का आगाज होगा. इसके लिए सात घंटे का समय निर्धारित किया गया है. इस बिल पर कांग्रेस(women reservation bill in loksabha) की तरफ से बहस की शुरुआत सोनिया गांधी(sonia gandhi) करेंगी. मोदी(narendra modi) कैबिनेट ने सोमवार को इस बिल पर मंजूरी दे दी थी. सभी दलों के रुख से करीब करीब इस बिल के पारित होने की संभावना बढ़ गई है. बता दें कि 1996 में पहली बार इस बिल को संसद के सामने पेश किया गया था हालांकि तमाम अड़चनों के बाद बिल पारित नहीं हो सका. इस बिल के पारित होने से पहले राजनीतिक दलों में श्रेय लेने की होड़ मच गई है.
33 फीसद आरक्षण की व्यवस्था
इस बिल में लोकसभा-राज्यसभा के साथ साथ राज्यों की विधानसभा में 33 फीसद आरक्षण(33 percent women reservation bill) की व्यवस्था की गई है. यह बिल जिस तारीख से प्रभावी होगा उसके 15 साल तक यह अमल में रहेगा हालांकि संसद इसकी समय सीमा को और आगे बढ़ा सकती है.इस तरह की जानकारी सामने आ रही है कि बिल जब एक्ट का स्वरूप ले लेगा उसके बाद अगली जनगणना पर आधारित परिसीमन के बाद इसे लागू किया जाएगा. संविधान का 128 संशोधन अधिनियम 2023 में तीन आर्टिकिल और एक क्लॉज को पेश किया जाना(women reservation three articles) है. न्यू 239 एए क्लॉज में जिक्र है कि अनुसूचित जाति(sheduled caste women reservation bill) के लिए आरक्षित एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. एक तिहाई सीट सीधे चुनाव के जरिए भरी जाएंगी जो महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. इस के साथ ही दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित होंगी.इसी तरह आर्टिकल 330ए में लोकसभा में एक तिहाई सीट अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. एक तिहाई सीटें सीधे चुनाव के जरिए भरी जाएंगी जो महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. इसी तरह 332 ए में प्रत्येक राज्यों की विधानसभा में एक तिहाई सीट अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित होने के साथ एक तिहाई सीट सीधे चुनाव के जरिए भरी जाएंगी जो महिलाओं के लिए आरक्षित होगी.
नये विधेयक को लेकर केंद्र-विपक्ष में बयानबाजी
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति-निर्माण में महिलाओं को अधिक शामिल करने का आह्वान किया और कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पेश होने के कारण 19 सितंबर ‘अमर’ होने जा रहा है. कांग्रेस सहित विपक्ष ने कहा कि विधेयक भाजपा सरकार का एक ‘जुमला’ था और कहा कि यह भारतीय महिलाओं के साथ ‘बहुत बड़ा विश्वासघात’ है। इस पर बीजेपी ने जवाब दिया कि कांग्रेस लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने को लेकर कभी गंभीर नहीं रही.केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि दुख की बात है कि विपक्ष इसे पचा नहीं पा रहा है। इससे भी अधिक शर्मनाक बात यह है कि दिखावे के अलावा कांग्रेस कभी भी महिला आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं रही.
खरगे की ‘कमजोर महिला’ वाली टिप्पणी पर विरोध
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे (congress president mallikarjun kharge on women reservation)ने उस समय कड़ा विरोध जताया जब उन्होंने कहा कि ज्यादातर राजनीतिक दल कमजोर वर्ग की महिलाओं को टिकट नहीं देते हैं। उन्होंने पीएम मोदी पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि उनकी सरकार के तहत संघीय ढांचा ‘कमजोर’ हो गया है. खरगे ने अपने भाषण के दौरान कहा था कि सभी राजनीतिक दलों की आदत है कि वे कमजोर महिलाओं को टिकट देते हैं. मैं जानता हूं कि पार्टियां अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग की महिलाओं का चयन कैसे करती हैं. कमजोर वर्ग की ऐसी महिलाओं को टिकट दिया जाता है कि उन्हें मुंह न खोलना पड़े. देश की सभी पार्टियों में ऐसा ही है और इसीलिए महिलाएं पिछड़ रही हैं. आप उन्हें बोलने की अनुमति नहीं देते और उनके अधिकारों की अनुमति नहीं देते. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खड़गे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि विपक्ष इस तरह लोगों का अपमान नहीं कर सकता.द्रौपदी मुर्मू कौन है? विपक्षी नेता इस तरह से लोगों का अपमान नहीं कर सकते, महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं कर सकते. हम सभी महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं.