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हिंदू राष्ट्र के बीच उठी अब किसान राष्ट्र की मांग। सनातन बोर्ड बप्फ बोर्ड के बीच उठी अब किसान बोर्ड की मांग।

कुम्भ मेला में लगेगा इस बार विश्व के पहले किसान देवता मंदिर का कैम्प

  • बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के हिंदू राष्ट्र और देवकी नंदन ठाकुर के सनातन बोर्ड के मांग के बाद अब उठी किसान राष्ट्र व किसान बोर्ड की मांग। विश्व के पहले किसान पीठाधीश्वर जगतगुरु किसानाचार्य स्वामी शैलेन्द्र योगिराज सरकार व ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिष्य ने मांग किया है। कि भारतवर्ष को किसान राष्ट्र घोषित किया जाए और किसान बोर्ड का गठन किया जाए। जिससे सब का पेट भरने वाले अन्नदाता किसान्न देवता को फसल का उचित दाम मिल सके। जिससे किसान की आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सके। क्योंकि पेपरों व सूचना तंत्र के माध्यम से अक्सर सुनने को मिलता है कि अन्नदाता किसान खेत खलिहान में ठंडी में खेती करते हुए ठंड से ठिठुर कर मर गया। हमारे आपके भरण पोषण के लिए गर्मी में लूं से मर जाता है। बारिश में बिजली गिरने से मर जाता है। खेतों में काम करते हुए सर्पदंश से मर जाता है। लेकिन किसान हिम्मत नहीं हार रहे हैं अभी भी हमारे आपके लिए अन्न फल फूल पैदा कर रहे हैं। लेकिन फिर भी उनकी उपेक्षा हो रही है। जब किसान राष्ट्र घोषित हो जाएगा तो प्रोटोकॉल बन जाएगा। तो किसान मजबूत हो जाएगा। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान को किसान सबसे प्रिय है।क्योंकि हिन्दू राज्य तो कंश का भी था। रावण का भी था। इस प्रकार से तो इस देश का रहने वाला मुसलमान मुस्लिम राष्ट्र की मांग करने लगेगा। इस देश का ईसाई ईसाई राष्ट्र की मांग करने लगेगा। और अभी बप्फ बोर्ड फिर सनातन बोर्ड फिर क्रिस्चियन बोर्ड। और इसी प्रकार से तो कई बोर्ड की मांग उठने लगेंगी।इस लिए किसान राष्ट्र घोषित कर सभी विवाद पर विराम लगाया जा सकता है और सभी को एक सूत्र में बांधा जा सकता है। क्योंकि कि किसान हिन्दू भी होता है। किसान मुसलमान भी होता है।किसान ईसाई भी होता है। सिर्फ किसान ही एक ऐसा है जिसके माध्यम से सब एक हो सकतें हैं। और कोई दूसरा रास्ता नहीं है सभी को एक करने का।क्योंकि देश की 70 फीसदी आबादी गांव में बसती है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। भारत गांव में बसता है। भारत की आत्मा प्राण प्रतिष्ठा यूं कहे तो भारत की जान किसानों में बसती है। देश की आर्थिक समृद्धि और विकास का रास्ता हमारे गांव से होकर गुजरता है। और भी सच कहूं तो बड़े-बड़े ऋषि मुनि मनीषी विद्वान डॉक्टर इंजीनियर जज और आप जैसे बड़े-बड़े पत्रकार भी किसानों के ही वंशज हैं। अन्नदाता किसान्न देवता देश का भाग्य विधाता है। यह अन्नदाता किसान्न देवता जीव जंतु पशु पक्षी पेड़ पौधों मनुष्यों संत महात्माओं आदि का पेट भरता है।इतना ही नहीं बल्कि देवी देवताओं को चढ़ाने वाले प्रसाद भोजन सामग्री पीर पैगंबर गॉड आदि को प्रस्तुत करने वाली सामग्री भी किसान ही पैदा करता है। इसलिए किसान राष्ट्र घोषित होना चाहिए और किसान बोर्ड का गठन होना चाहिए। सोचो अगर किसान न होता तो धरती पर भगवान न होता। शास्त्रों में कहा गया है अन्नम ब्रह्म। अन्न ब्रह्म है। अन्न से रक्त। रक्त से वीर्य और राज बनते हैं। अन्न से ही जीवन का अस्तित्व बना रह सकता है। उसके बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं है। अतः प्राण शक्ति संपन्न अन्न से ही जीवन का उद्गम और रक्षण होता है। अतः अन्न को ब्रह्म के रूप में कहा गया है। जिस प्रकार से पसवो न गाव:। गाय पशु नहीं है। गाय पशु होते हुए भी पशु नहीं है वह माता है। जिस प्रकार से गुरुर्रब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महे

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