वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह शीघ्र होना या विलंब से होना जन्मकुंडली पर भी निर्भर करता है। कुंडली से आप कैसे जानेंगे कि आपकी कुंडली में शीघ्र विवाह का योग है या नहीं। अगर नहीं है तो कौन से उपायों से शीघ्र विवाह योग बनें जिससे विवाह में हो रही देरी को दूर किया जा सके।
कुंडली में विवाह योग –
वर्तमान समय में –
उच्च शिक्षा या अच्छा करियर बनाने के कारण विवाह में विलंब हो जाता है जिससे बच्चों के माता पिता परेशान हो जाते हैं लेकिन ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विवाह शीघ्र होना या देरी से आपकी कुंडली पर भी निर्भर करता है। अगर आपकी कुंडली में शीघ्र विवाह का योग है तो आपका विवाह जल्द होगा और अगर नहीं है तो विवाह होने में कई बाधाएं उत्पन्न होंगी। अनेक परेशानियां उत्पन्न होंगी।
जब विवाह होंने में अनेक प्रकार की बाधाएं उत्पन्न हो।
किन कारणों से होती है।
विवाह में देरी
कुंडली में सप्तम भाव बनाता है विवाह का योग
ज्योतिष भाव के अनुसार जिस वर्ष शनि और गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न को देखते हों, तब विवाह के योग बनते हैं। सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।
इन योगों के कारण होता है
विवाह मे विलंब
ज्योतिषीय दृष्टि से जब विवाह योग बनते हैं, तब विवाह टलने से विवाह में बहुत देरी हो जाती है। विवाह में देरी होने का एक कारण बच्चों का मांगलिक होना भी है। इनके विवाह के योग 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बनते हैं। जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब हो जाता है, तो उनके ग्रहों की दशा ज्ञात कर विवाह के योग कब बनते हैं जान सकते हैं।
जब सूर्य, मंगल या बुध लग्न या लग्न के स्वामी पर दृष्टि डालते हों और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति में आध्यात्मिकता अधिक होने से विवाह में देरी होती है।
लग्न (प्रथम) भाव में, सप्तम भाव में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक न हो और चंद्रमा कमजोर हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।
सप्तम भाव में शनि और गुरु हो तो शादी देर होती है।
चंद्र की राशि कर्क से गुरु सप्तम हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।
सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो, कोई शुभ ग्रह योगकारक नही हो तो विवाह में देरी होती है।
कुंडली के सप्तम भाव में बुध और शुक्र दोनों हो तो विवाह की बातें होती रहती हैं, लेकिन विवाह काफी समय के बाद होता है।
चौथा भाव या लग्न भाव में मंगल हो और सप्तम भाव में शनि हो तो व्यक्ति की रुचि शादी में नहीं होती है।
नोट-सप्तमेश की दशा,अन्तर्दशा
कारकेश की दशा,अन्तर्दशा और योगकारी ग्रहों की दशाओं में विवाह के योग बनतें हैं।