समुद्र में जंग के लिए ऑपरेशनल हुआ स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत
नई दिल्ली
आख़िरकार लम्बे इन्तजार के बाद भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत समुद्र में जंग के लिए ऑपरेशनल हो गया है। तैनाती के रूप में जहाज को पहली बार पश्चिमी बेड़े में शामिल किया गया है, जिससे भारतीय नौसेना की ‘स्वॉर्ड आर्म’ की समुद्री शक्ति और ज्यादा बढ़ गई है। फिलहाल पोत पर 30 विमानों के बेड़े में 18 मिग-29 और 12 कामोव हेलीकॉप्टर होंगे। अमेरिका से खरीदे गए एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टर भी शक्तिशाली पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं के साथ बोर्ड पर होंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो साल पहले 02 सितम्बर को भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ राष्ट्र को सौंपा था, जिसे समुद्री जंग के लिहाज से तैयार किया जा रहा था। नौसेना में शामिल किये जाने के बावजूद यह पूरी तरह से चालू नहीं था, क्योंकि इसकी प्राथमिक हथियार प्रणाली, लड़ाकू जेट विमानों ने विमान वाहक पोत के डेक से अपने विमानन परीक्षणों को पूरा नहीं किया था। भारतीय नौसेना के पायलटों ने पिछले साल फरवरी में एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत पर स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान ‘एलसीए नेवी’ को कामयाबी के साथ लैंड और टेक ऑफ करके ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया।
आईएनएस विक्रांत पर पिछले साल मार्च में पहली बार रात के समय कामोव 31 हेलीकॉप्टर उतार कर ‘नाइट लैंडिंग’ का सफल परीक्षण किया गया। लगभग 4 माह तक पोत पर फाइटर जेट की लैंडिंग और टेक ऑफ करने के परीक्षण किये गए। तमाम तरह के परीक्षणों के दौर से गुजरने के बाद विक्रांत को पूर्ण परिचालन का दर्जा मिल गया। आखिरकार विक्रांत को पूरी तरह से ऑपरेशनल होने का इन्तजार ख़त्म हो गया। नौसेना ने आधिकारिक तौर पर आज आईएनएस विक्रांत के पश्चिमी बेड़े में शामिल होने का ऐलान किया है। नौसेना के मुताबिक आईएनएस विक्रमादित्य के नेतृत्व में कैरियर बैटल ग्रुप ने अरब सागर में मल्टी डोमेन एक्सरसाइज और ट्विन कैरियर फाइटर ऑपरेशन के साथ आईएनएस विक्रांत को पश्चिमी बेड़े में शामिल किया।
नौसेना के मुताबिक फिलहाल पोत पर 30 विमानों के बेड़े में 18 मिग-29 और 12 कामोव हेलीकॉप्टर होंगे। अमेरिका से खरीदे गए एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टर भी शक्तिशाली पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं के साथ बोर्ड पर होंगे। नौसेना आईएनएस विक्रांत के लिए 26 नए राफेल लड़ाकू विमान खरीदने पर विचार कर रही है। इसके लिए 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक के सौदे पर भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच अनुबंध वार्ता हो चुकी है। जल्द ही फ्रांस के साथ बातचीत पूरी करके समझौते पर हस्ताक्षर करने का प्रयास है। इस सौदे के लिए सरकार से सरकार के बीच का अनुबंध होगा।