लोक इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस और पूर्व विधायक बलविंदर सिंह बैंस के भाजपा में जाने की चर्चा दिन सियासी गलियारों में चलती रही। देर शाम तक बैंस बंधुओं ने भाजपा में जाने की पुष्टि नहीं की। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों भाई भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। गौरतलब है कि बैंस बंधुओं ने शिरोमणि अकाली दल मान से राजनीति की शुरुआत की थी। बाद में दोनों भाई अकाली दल बादल में शामिल हो गए।
दो बार विधायक रहे दोनों भाई
खास कर बड़े भाई एसजीपीसी में बतौर सदस्य कई साल तक बने रहे तो सिमरजीत सिंह बैंस अकाली दल में सक्रिय हो पार्षद पद का चुनाव लड़ा और जीत गए। इसके बाद से सिमरजीत सिंह ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। शहर में राजनीति में खासा प्रभाव बनने के बाद सिमरजीत सिंह बैंस ने अकाली दल से साउथ सीट से विधानसभा का टिकट मांगा पर टिकट नहीं मिली। इससे नाराज सिमरजीत सिंह बैंस ने पार्टी छोड़ दी और आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा।
अकाली दल से नाराज होने के बाद चुनाव लड़ा और जीत हासिल की
इसी दौरान विस चुनाव में सिमरजीत सिंह बैंस अकाली दल के उम्मीदवार हीरा सिंह गाबड़िया को चुनाव में हरा कर सब को हैरान कर दिया। चुनावों में दो सीटों पर दोनों भाई को जीत हासिल हुई। इसके बाद दोनों भाईयों ने 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव जीत कर अकाली दल को बेचैन कर दिया। 2022 में एक महिला की ओर से सिमरजीत सिंह बैंस पर लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों को चलते सिमरजीत सिंह विधानसभा का चुनाव हार गए। उन्हें त्रिकोणीय मुकाबले में हार मिली। हालांकि बैंस आरोपों को निराधार बताते रहे हैं।
भाजपा भी पंजाब में मजबूती से पांव जमाना चाहती है
इसी मामले में कोर्ट से उन्हें जमानत भी मिल गई है। राजनीति गलियारों में चर्चा है कि फिलहाल बैंस बंधुओं की राजनीतिक जमीन हिचकाेले खा रही है। इसी वजह से वे राष्ट्रीय दल भाजपा में जा सकते हैं। मौजूदा समय में भाजपा भी पंजाब में मजबूती से पांव जमाना चाहती है। इसलिए पार्टी लगातार कांग्रेस अकाली दल हो अन्य कद्दावर नेता पार्टी में शामिल करा रही है। वैसे भी 2017 के राष्ट्रपति के चुनाव के समय भाजपा की तरफ से उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को भाजपा के कहने पर दोनों भाइयों ने वोट भी दिया था। ऐसे में दोनों के भाजपा के नेताओं से अच्छा तालमेल भी है। उनके भाजपा में जाने की संभावना है।