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अमृतपाल और राहुल गांधी प्रकरण के बीच जालंधर चुनाव में बनने लगे नए समीकरण

जालंधर लोक सभा सीट को लेकर चुनाव आयोग किसी भी समय घोषणा कर सकता है। जालंधर के उप चुनाव कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ होंगे। इस चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है।

दो दिन के भीतर मुख्यमंत्री भगवंत मान दो बार जालंधर का दौरा कर चुके हैं। वहीं, उन्होंने जालंधर कैंट के पूर्व विधायक जगबीर बराड़ को आप पार्टी ज्वाइन करवाकर शिरोमणि अकाली दल को तगड़ा झटका दिया हैं। भाजपा नेताओं ने भी जालंधर में डेरा डाल रखा है।

अमृतपाल प्रकरण के बाद वोटों का ध्रुवीकरण होना तय
भाजपा के प्रभारी व गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी मंगलवार को जालंधर पहुंच रहे हैं। इस बीच अमृतपाल प्रकरण और राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता खत्म होने से नए समीकरण बनने शुरू हो गए हैं। राहुल गांधी की सदस्यता खत्म होने के बाद जहां कांग्रेस एकजुट होनी शुरू हो गई हैं। वहीं, अमृतपाल प्रकरण के बाद वोटों का ध्रुवीकरण होना तय है। शिरोमणि अकाली दल के समक्ष सिख वोट बैंक को जोड़े रखने की सबसे बड़ी चुनौती हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में नंबर-2 स्थान पर रही
शिअद के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि शहरी व हिंदू मतदाता उससे दूर हैं तो जालंधर कैंट से चुनाव लड़ने वाले जगबीर बराड़ पार्टी छोड़ कर आप में शामिल हो चुके हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में बराड़ 27,387 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे। वहीं, जालंधर की 9 विधानसभा सीटों में से शिअद को एक पर भी जीत नहीं मिली थी।

ऐसे में शिअद अपने सिख वोट को जोड़ कर रखने की कोशिश में हैं। वहीं, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी मजबूत दावेदारी पेश करने की जुगत में हैं। अमृतपाल प्रकरण के बाद मतों के ध्रुवीकरण को देखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद ही कमान संभाले हुए हैं।

अमृतपाल प्रकरण के बाद वोटों का ध्रुवीकरण होना तय
जालंधर लोकसभा सीट पर डेरा सचखंड बल्लां का प्रभाव है। इसी के कारण मुख्यमंत्री ने दो दिन पूर्व डेरा बल्ला में गुरु रविदास बाणी अध्ययन केंद्र के लिए 25 करोड़ रुपये का चेक दिया। हालांकि इसे लेकर कांग्रेस सवाल खड़े कर रही हैं। कांग्रेस के आदमपुर के विधायक सुखविंदर कोटली का कहना है, 25 करोड़ रुपये का चेक तो 31 दिसंबर 2021 को पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने दिया था।

जिसे सरकार ने वापस ले लिया था। अब वही चेक दिया गया है। वहीं, सोमवार को वेरका मिल्क प्लांट के नवीनीकरण के जरिये भी मुख्यमंत्री किसान व दुग्ध उत्पादकों को साधने की कोशिश की। वहीं, दूसरी तरफ अमृतपाल प्रकरण के बाद भाजपा शहरी क्षेत्र में खुद को मजबूत मान रही हैं।

भाजपा पहली बार जालंधर का लोक सभा चुनाव लड़ने जा रही
अमृतपाल प्रकरण के बाद भाजपा शहरी क्षेत्र में खुद को मजबूत मान रही रही हो लेकिन उसकी कोशिश ग्रामीण क्षेत्रों में भी पैठ करके मजबूत दावेदारी पेश करने की हैं। जबकि पिछले 5 बार से जालंधर लोकसभा चुनाव जीतती आ रही कांग्रेस खुद को मजबूत स्थिति में मान रही हैं। वहीं, राहुल गांधी की लोक सभा की सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस के नेता एकजुट होने लगे हैं।

आपसी खींचतान के कारण ही कांग्रेस को 2022 में नुकसान का सामना करना पड़ा था। इस बीच माना जा रहा है कि एक दो दिनों में चुनाव आयोग चुनाव की घोषणा कर सकता हैं। इससे पहले ही राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी रेस लगानी शुरू कर दी हैं।

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