पंजाब में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के संगठन वारिस पंजाब को मजबूत कर खालिस्तान का खाका खींचने का पूरा षड्यंत्र अमृतसर के गांव मरड़ी कलां के पपलप्रीत ने रचा था। 18 मार्च के बाद अमृतपाल को फरार करवाने में भी उसकी मुख्य भूमिका है। पपलप्रीत हमेशा से विवादों में रहा है।
बब्बर खालसा समेत कई खालिस्तान समर्थक संगठनों से उसका संबंध रहा है। उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह पंथक मामलों की अच्छी जानकारी रखता है। देश-विदेश में खालिस्तान समर्थक कई समूहों और नेताओं से पपलप्रीत के संबंध हैं। खालिस्तान का प्रचार करने वाले मीडिया में उसकी अच्छी पैठ है।
बब्बर खालास की रिपोर्ट प्रकाशित करने पर हुआ था गिरफ्तार
पपलप्रीत पुलिस ने शमशीर-ए-दस्त नाम की एक पत्रिका में बब्बर खालसा की रिपोर्ट प्रकाशित करने पर गिरफ्तार किया गया था। पुलिस को उसका लैपटॉप एक कुएं से मिला था, जिसमें पत्रिका का सारा रिकॉर्ड था। वह खालिस्तान समर्थक पत्रिका फतेहनामा के लिए भी आतंकवादियों के समर्थन में लेख लिखता रहा है।
दमदमी टकसाल के तीन प्रमुख ग्रुपों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ पपलप्रीत की काफी निकटता है। वह सिख यूथ फ्रंट बना कर 1984 के दंगा पीड़ितों के लिए भी आवाज उठाता रहा है। शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के यूके विंग के हस्तक्षेप से उसे युवा विंग के चीफ आर्गेनाइजर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके बाद उसने सिख यूथ फ्रंट को भंग कर शिअद (अमृतसर) में मिला दिया था।
जुगाड़ गाड़ी में बैठकर भागता अमृतपाल और उसका साथी पपलप्रीत।
सरबत खालसा में आतंकी का बयान पढ़ने पर दर्ज हुआ था देशद्रोह का केस
इसके बाद नेवर फॉरगेट 84 वेबसाइट के लिए काम करता रहा। पीड़ित परिवारों के फोटो व आर्टिकल लिखता रहा। इसके बाद उसने विदेश से चल रहे आवाज-ए-कौम पोर्टल और ई-पेपर के लिए भी काम करना शुरू कर दिया। बाद में भिडरांवाले के परिवार के साथ मिलकर भी मीडिया का काम संभालता रहा।
वर्ष 2015 में जेल में बंद आतंकवादी नारायण सिंह चौड़ा का बयान पपलप्रीत सिंह ने सरबत खालसा के दौरान स्टेज से पढ़ा था। इसके बाद उस पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था। गांव के कुछ युवाओं के साथ विवाद को लेकर भी उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। काफी समय तक पपलप्रीत अंडर ग्राउंड रहा। अमृतपाल के वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख बनने के बाद उसकी सभी गतिविधियों को पपलप्रीत ही संचालित कर रहा था।
अमृतपाल को गांव से ही गिरफ्तार कर सकती थी पुलिस
अजनाला थाने पर हमले के बाद 22 दिन तक पंजाब पुलिस चंडीगढ़ मुख्यालय में योजना बनाती रही। अब सवाल उठ रहा है कि उसे घर पर ही क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया। उसे 100 किलोमीटर का सफर तय कर जालंधर पहुंचने का इंतजार क्यों किया गया। अमृतपाल को पुलिस उसके गांव जल्लूपुर खेड़ा से सुबह पांच बजे ही गिरफ्तार कर सकती थी। तब उसके साथ महज 4-5 ही लोग होते हैं। बता दें कि कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा भी इस पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करना होता तो उसके घर से ही पकड़ा जा सकता था। राजनीतिक फायदा लेने के लिए जालंधर को चुना गया।