Holi 2023: होलिका दहन को लेकर असमंजस की स्थिति जानें क्या कहते हैं ज्योतिष, कब है शुभ मुहूर्त
तीर्थनगरी Holi मथुरा में होलिका दहन को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे लोगों में शंका बनी है कि क्या भद्रा के साये में होलिका दहन किया जाएगा। हालांकि इस बारे में ज्योतिष एकमत हैं। आगे पढ़िए कि ज्योतिष क्या कहते हैंउत्तर प्रदेश स्थित तीर्थनगरी मथुरा में इस बार होलिका दहन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
इस वर्ष पूर्णिमा तिथि पर भद्रा के कारण यह स्थित उत्पन्न हुई है। पूर्णिमा तिथि इस दौरान दो दिवसीय है। हालांकि मथुरा के ज्योतिष होलिका दहन को लेकर एकमत में नजर आ रहे हैं।
ज्योतिषाचार्य कामेश्वरनाथ चतुर्वेदी और आलोक गुप्ता ने बताया कि फाल्गुन पूर्णिमा 6 मार्च सुबह 4:17 बजे शुरू होकर 7 मार्च सुबह 6:09 बजे तक रहेगी। 7 मार्च को भद्रा रहित और उदय तिथि की मान्यता अनुसार होलिका दहन का मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा। जो शाम 6:31 बजे से रात 8:58 बजे तक बन रहा है।
पूर्णमासी के दिन पूरे समय रहेगी भद्रा
आचार्य पंडित बनवारीलाल गौड़ बताते हैं कि होलिका दहन प्रदोष काल में किया जाता है। यह अवधि सात मार्च को सूर्यास्त के बाद बन रही है। 6 मार्च को पूर्णमासी शाम को 4:00 बजे के लगभग और पूर्णमासी के दिन भद्रा पूरे समय रहेगी। ज्योतिषाचार्य अजय तेलंग बताते हैं कि होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है।
पूर्णिमा तिथि को किया जाता है होलिका दहन
दरअसल, फाल्गुन मास की पूर्णिमा Holi तिथि को होलिका दहन किया जाता है। इस दिन लोग होलिका जलाते हैं। इसके बाद अगली सुबह रंग-गुलाल अबीर से होली खेली जाती है।
पंडित प्रणव गोस्वमी का मानना है कि इसकी बार होलिका दहन की अवधि 02 घंटे 27 मिनट तक होगी। पंचांग के अनुसार 7 मार्च को सायं यह योग मिल रहा है। उस समय पूर्णिमा ओर प्रदोष काल भी रहेगा।