उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों का एलान हो चुका है। छात्र ने कहा कि किताबें देखकर उसे चक्कर आने लगे, तो विशेषज्ञ ने कहा दसवीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे 70 फीसदी विद्यार्थी पढ़ाई का दबाव नहीं झेल पा रहे हैं। इस बारे में छात्र-छात्राओं ने अपने अनुभव साझा किए हैं। जिसके बाद एक्सपर्ट ने उन्हें परीक्षा को लेकर कई मंत्र दिए हैं।
एक छात्रा ने बताया कि जब मैं पढ़ने बैठती हूं तो मुझे चक्कर आते हैं और बेेचैनी होती है। याद करने पर भी मुझे कुछ याद नहीं रहता है। यह समस्या दो साल से और बढ़ गई है। दो छोटी बहनों से भी मेरी नहीं बनती है। अब तो मुझे आत्महत्या के विचार आते हैं। ये बातें बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा ने सोमवार को काउंसलिंग के दौरान मंडलीय मनोवैज्ञानिक अधिकारी को बताईं।
मनोवैज्ञानिक अधिकारी ने कहा कि याद करने के लिए एकाग्रचित होने की जरूरत है और इसमें समय लगता है, लेकिन बच्चों में धैर्य की कमी हो रही है। सितंबर से दिसंबर माह तक हुई काउंसलिंग में सामने आया है कि दसवीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे 70 फीसदी विद्यार्थी पढ़ाई का दबाव नहीं झेल पा रहे हैं। इनमें से 12वीं के करीब 22 फीसदी ऐसे विद्यार्थी हैं, जिन्होंने कम अंकों के डर से परीक्षा छोड़ने तक की बात कही है।
मनोवैज्ञानिक डॉ. कुमार मंगलम सारस्वत ने बताया कि सामूहिक संवाद में सामने आया है कि ऐसे में जो विद्यार्थी वर्ष 2021 में हाईस्कूल में थे और इस वर्ष 12वीं की परीक्षा देंगे, उन्हें सबसे अधिक परेशानी हो रही है। क्योंकि इसी वर्ष उन्हें आगामी पढ़ाई के लिए अन्य संस्थानों या शहरों में दाखिला लेना है और उसी के आधार पर उनका करिअर बनेगा।
केस एक
रामगंगा विहार निवासी कक्षा 12वीं का छात्र इस वर्ष परीक्षा छोड़ना चाहता है। काउंसलिंग में उसने बताया कि कोरोना काल में मैं नियमित पढ़ाई नहीं कर पाया था। पिछले वर्ष शिक्षकों ने छूटे हुए सवालों को नहीं बताया था। इसकी वजह से अब मुझे फिजिक्स और मैथ विषय समझ में नहीं आता है।
पढ़ते ही सिर में दर्द होने लगता है। डर लग रहा है कि अंक कम रह गए तो दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं ले पाऊंगा। इसलिए अगले वर्ष परीक्षा देने की सोच रहा हूं। छात्र को छोटे-छोटे हिस्सों में टॉपिक को विभाजित कर, प्रतिदिन एक घंटे उसी विषय को पढ़ने और शिक्षक से समाधान करवाने की सलाह दी गई है।
केस दो
जिगर कॉलोनी निवासी 11वीं का छात्र हमेशा अपनी कक्षा में टॉप थ्री विद्यार्थियों में आता था। उसने बताया कि कोरोना काल में पापा की नौकरी छूट गई थी। घर पर आर्थिक समस्याएं होने की वजह से तनाव का माहौल रहता था। इसकी वजह से पढ़ाई नहीं हो पाई। पापा ने मैन्युफैक्चरिंग का काम शुरू किया तो मैंने मदद की।
अब मुझसे लगातार पढ़ाई नहीं हो पाती है। इससे अच्छा है कि किसी दुकान पर नौकरी कर लूं या फिर पापा की मदद करूं। छात्र को विषय को देखकर, लिखकर, बोलकर और समझकर पढ़ने को प्रेरित किया है। रुटीन में रिवीजन को शामिल करें।
केस तीन
रामपुर के ज्वाला नगर निवासी एक छात्रा का कक्षा पांच से डॉक्टर बनने का सपना था। उसने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई में टॉपिक समझ में नहीं आते थे। बिना परीक्षा दिए दसवीं क्लास पास कर ली थी। 11वीं में दसवीं के विषयों को नहीं पढ़ाया गया। इसलिए मैंने पापा से कहा कि मुझे विज्ञान विषय समझ में नहीं आ रहे हैं
और कला संकाय दिलवा दो, तो उन्होंने मेरी बात नहीं मानी। इसी डर से मुझे रात को नींद नहीं आती है। काउंसलिंग में छात्रा की शिक्षिकाओं से बात करने को कहा गया है, ताकि वह उसकी परेशानी को समझें और अतिरिक्त क्लास में उसकी शंकाओं का समाधान करें।
यह करें अभिभावक और विद्यार्थी
रात को दस बजे सो जाएं और चार बजे उठें। दो घंटा पढ़े हुए चैप्टर को याद करने के लिए निर्धारित करें।
जो विद्यार्थी लंबे समय तक एक साथ नहीं पढ़ पाते हैं, उन्हें प्रत्येक एक घंटे बाद दस मिनट का ब्रेक दें।
प्रतिदिन कम से कम दो घंटे का समय विद्यार्थी सिर्फ लिखने पर दें।
यदि कम अंक आने या फेल होने का डर लग रहा है तो खुलकर अभिभावकों और शिक्षकों को बताएं।
मेधावी विद्यार्थियों के साथ कमजोर विद्यार्थियों की तुलना न करें।
अभिभावक विद्यार्थियों की क्षमता को पहचानें, अपनी इच्छाएं न थोपें।
विद्यार्थियों को जंक फूड देने के बजाय पौष्टिक खाना दें।
आधा घंटा योग अवश्य करवाएं, ताकि विद्यार्थियों की एकाग्रता बढ़ सके।
यह हैं लक्षण
एंजाइटी, फोबिया, उल्टी जैसी लगना, भूख न लगना, चक्कर आना, नींद न आना, घर छोड़ने की इच्छा होना, सिर में दर्द, चिड़चिड़ाहट।
परीक्षा नहीं देने और ऑनलाइन से ऑफलाइन पढ़ाई होने की वजह से औसत और कमजोर विद्यार्थी दवाब झेल रहे हैं। वर्ष 2020 तक इस समय ओपीडी में दो या तीन विद्यार्थी आते थे, लेकिन अब सात और आठ विद्यार्थी काउंसलिंग के लिए आरहे हैं। परीक्षा छोड़ने के विचारों वाले विद्यार्थी सबसे ज्यादा हैं।
विद्यार्थियों का विषयों में आधार मजबूत नहीं हो पाया है। विद्यार्थी जो पढ़ रहे हैं, वह तो उन्हें पढ़ाया ही जाए। इसके साथ ही बेसिक पढ़ाई पर भी जोर दिया जाए। पुराने चैप्टर भी उनको रिवाइज करवाए जाएं, ताकि एक महीने के समय में वह नियमित अभ्यास कर परीक्षा छोड़ने के विचार दूर कर सकें।